बहुत है नाज़ तुझे शहद के हैं नल तिरे होंट करें जो कर सकें सैराब दिल का थल तिरे होंट रुवाँ-रुवाँ हमा-तन-गोश हो के सुनता है सुख़न-सुख़न तिरी आँखें ग़ज़ल-ग़ज़ल तिरे होंट ये काएनात की तल्ख़ी को थूकने वाले बला का सब्र किए जाएँ गर हों फल तिरे होंट सुकूत-ए-दहर मिरी शाह-रग कतर जाता अगर न हिलते मिरी जान बर-महल तिरे होंट बहार भर दी है तुझ में 'ज़ुबैर' क्या उस ने बहुत गुलाब गिराते हैं आज-कल तिरे होंट