बहुत हाओ-हू रहगुज़ारों में है वो तन्हा हवा के हिसारों में है उसे क़त्ल करने पे तुल जाएँगे ये साया मिरे ग़म-गुसारों में है लबों पर दरख़्शाँ हुरूफ़-ए-हयात इक़ामत शिकस्ता मज़ारों में है हबीबों ने भी चेहरे दफ़ना दिए कोई बात आईना-कारों में है अज़ीज़ो कहाँ तक ये नौहागरी ज़मीं पर नहीं है सितारों में है लबों पर जमेगा ग़ुबार-ए-सुकूत वही शोर-ए-सरसर चनारों में है