एहतिमाम-ए-दश्त-आराई करो एक आलम को तमाशाई करो दिन की पीली ख़ामुशी डस जाएगी रात-भर हंगामा-आराई करो है सुकूत-अंगेज़ हर हर्फ़-ओ-सदा दोस्तो अब तर्क गोयाई करो भागते सायों से कैसी दोस्ती ख़ुद से ही पैदा शनासाई करो बच निकलने का कोई रस्ता नहीं ख़ुद को तस्वीर-ए-शकेबाई करो बज़्म में हो कोई मौज़ू-ए-सुख़न चौक में अपनी ही रुस्वाई करो मैं रहा ता-उम्र तूफ़ाँ-आश्ना साहिलो मेरी पज़ीराई करो