बहुत रंगीन दिलकश है मजाज़ी प्यार की दुनिया उभरने ही नहीं देती लब-ओ-रुख़्सार की दुनिया ज़माना से जुदा कर दे हक़ीक़त को फ़ना कर दे फ़क़त ख़्वाबों में ले जाए हसीं दिलदार की दुनिया यहाँ झूटों का मेला है जो बोले सच अकेला है यक़ीं गर है नहीं देखो ज़रा अख़बार की दुनिया ग़रीबों को सताती है अमीरों को बनाती है लड़ा कर सिर्फ़ इंसाँ को चले सरकार की दुनिया तलब सूरज की मत करना न दामन आग से भरना चराग़ों से मुनव्वर तुम करो घर-बार की दुनिया ज़रूरत ढूँढ लेती है कि रस्ता मिल ही जाता है करे आदम अगर कोशिश खुले असरार की दुनिया