बहुत उदास है माह-ए-तमाम किस के लिए रुकी हुई है मुंडेरों पे शाम किस के लिए भुला के ख़ुद को चलो गहरी नींद सोते हैं अगर करें भी तो नींदें हराम किस के लिए कि इस दयार में कौन आया है जो आएगा हमें बताओ कि ये एहतिमाम किस के लिए उन्हें भी काश किसी रोज़ ये पता तो चले बने हैं शौक़ से हम भी ग़ुलाम किस के लिए वो कोई और नहीं है तो एक बात बता छलक रहे हैं निगाहों के जाम किस के लिए