बैठे रहेंगे वो तो हमेशा दबा के बात हम ही करेंगे उन से किसी रोज़ जा के बात कुछ भी निकाल सकते हैं मतलब वो बात का करता हूँ इस लिए मैं बहुत बच-बचा के बात पेचीदा हो गए हैं हमारे तअ'ल्लुक़ात करनी पड़ी है मुझ को घुमा के फिरा के बात इक हम कि ले के बैठ गए एक लफ़्ज़ को इक वो कि चल दिए जो हँसी में उड़ा के बात कहता हूँ दिल की बात घटा कर रक़ीब से करता है वो जो आगे बढ़ा के चढ़ा के बात वो जो बनी हुई है रुकावट सी दरमियाँ मिलना हो अब हमें तो मिलें वो हटा के बात मतलूब वाइ'ज़ों को हैं शायद हमारे अश्क हँसने की भी वो करते हैं अक्सर रुला के बात 'बासिर' बयान-ए-सादा को पाया है बे-असर कीजे ज़रा सँवार के क़द्रे बना के बात