न का'बे में न बुत-ख़ाने में देखा By Ghazal << चुपके से दिमाग़ में दर आए आ के सज्जादा-नशीं क़ैस हु... >> न का'बे में न बुत-ख़ाने में देखा समाँ जो दिल के काशाने में देखा हमें वहदत से कसरत हैं ये जाना जो जा कर आइना-ख़ाने में देखा जो जल्वा दश्त-ए-दिल के ज़र्रे में है न मामूरे न वीराने में देखा करे वो गुल उसे या उस को वो ख़ाक ये कीना शम्अ परवाने में देखा Share on: