तू ख़फ़ा मुझ से हुआ क्या बाइ'स जुर्म क्या मुझ से हुआ क्या बाइ'स किस लिए दुश्मन-ए-जाँ है तू गुनाह कौन-सा मुझ से हुआ क्या बाइ'स क्यों दिल-आज़ार है तू कोई क़ुसूर दिल से या मुझ से हुआ क्या बाइ'स बस मैं उस बुत के जो डाला है गुनाह क्या ख़ुदा मुझ से हुआ क्या बाइ'स क्या जिहत क्या है सबब क्या मौजिब तू जुदा मुझ से हुआ क्या बाइ'स आज वो लो'बत-ए-चीं चीं-ब-जबीं बे-ख़ता मुझ से हुआ क्या बाइ'स रात 'बे-सब्र' वो बरहम नाहक़ ना-रवा मुझ से हुआ क्या बाइ'स