बला-ए-जाँ है समर बद-हवास होने का नतीजा देख लो तुम ख़ुद उदास होने का ख़त-ए-मुहीत है हब्लुल-वरीद के है क़रीब यक़ीन रख तू उसे अपने पास होने का हुए हैं नीम-बरहना हवस ने खेतों में दिया न मौक़ा ही पैदा कपास होने का हर इक ख़याल है नफ़्स-ए-शरीर के ताबे' मगर है दावा उसे हक़-शनास होने का लपक के छीन लिया इस क़दर वो प्यासा था ये एहतिमाम था ख़ाली गिलास होने का न पूछो मुझ से मैं तशरीह कर नहीं सकता है हादिसा ही अजब क़ैद-ए-यास होने का मज़ाक़ ऐश का इस दर्जा गिर गया 'साहिल' तमाशा होता है अब बे-लिबास होने का