बंदगी में जो हबीबों की रहा सर मेरा थोपने के लिए इल्ज़ाम मिला सर मेरा जानते थे तो भी हालत का सबब जानना था सर झटकते हुए मैं ने भी कहा सर मेरा रूह का मेरी न जाने था इरादा क्या ही सुब्ह जब मैं उठा तो सोया मिला सर मेरा सौ ज़बाँ पर सौ तरीक़े मिरी इक दास्ताँ के सौ सरों में है सौ हिस्सों में बटा सर मेरा