बाँधा था किसी शोख़ से पैमान-ए-तमन्ना रंगीं है मिरा आलम-ए-इम्कान-ए-तमन्ना इक ज़ुल्फ़-ए-सियह मस्त थी ईमान-ए-तमन्ना इक चेहरा-ए-गुलनार था उनवान-ए-तमन्ना सद-शुक्र कि तूफ़ान-ए-हवादिस के मुक़ाबिल जलती ही रही शम्अ'-ए-शबिस्तान-ए-तमन्ना वो अर्ज़-ए-मुक़द्दस है कहाँ चाँद-सितारो खिलते हैं जहाँ लाला-ओ-रैहान-ए-तमन्ना आवारा-ए-दरमाँ मुझे रक्खेगा अज़ल तक ये दिल में खटकता हुआ पैकान-ए-तमन्ना ज़िंदाँ से किसी तरह नहीं कम ये ख़ुदाई हर दिल है यहाँ सोख़्ता-सामान-ए-तमन्ना