बंधनों से रिहाई मत करना By Ghazal << इस इश्क़ का अंजाम मैं कुछ... चाँदनी रात में तारों की क... >> बंधनों से रिहाई मत करना यूँ कभी भी जुदाई मत करना लाख दुनिया कहे बुरा मुझ को आप मेरी बुराई मत करना जो दिया दिल मरी निशानी है चीज़ अपनी पराई मत करना इस क़दर दूर कर मुझे ख़ुद से जान ये जग-हँसाई मत करना मुझ से ये बोझ अब नहीं उठता देखो तुम आश्नाई मत करना Share on: