बनने वाली ही थी नफ़रत की कहानी दुनिया दौड़ कर अहल-ए-मोहब्बत ने बचा ली दुनिया इस में बस आप ही बस आप नज़र आते हैं मैं ने दुनिया से अलग अपनी बनाई दुनिया आप ने अपना बताया है मुझे जिस दिन से दे रही है मुझे आ आ के बधाई दुनिया यूँ ही करते नहीं सब लोग मोहब्बत मुझ से प्यार का धन है लुटाया तो कमाई दुनिया ये है गिरगिट की तरह रंग बदलती अपना लाल पीली कभी नीली कभी धानी दुनिया नफ़रतों का है हर इक सम्त अंधेरा फिर भी प्यार से देखो नज़र आएगी प्यारी दुनिया कभी तन्हाई में हँसता हूँ कभी रोता हूँ तेरी यादों की हसीं एक बना ली दुनिया तू मुझे भूल न पाएगी क़यामत तक भी दे के जाऊँगा तुझे ऐसी निशानी दुनिया माँ के क़दमों को जो चूमा तो लगा ये 'काशिफ़' माँ के क़दमों में सिमट आई है सारी दुनिया