बर्फ़ पिघली तो रास्ता निकला By Ghazal << हाँ ये तौफ़ीक़ कभी मुझ को... हर्फ़-ए-नैरंग समझ रंग-ए-अ... >> बर्फ़ पिघली तो रास्ता निकला फिर से मिलने का सिलसिला निकला फिर वो लौट आई ज़िंदगी की तरफ़ मेरे होंटों से शुक्रिया निकला तुझ से कहना था हाल-ए-दिल लेकिन तू भी ऐ दोस्त आइना निकला Share on: