बरकतें सब हैं अयाँ दौलत-ए-रूहानी की वाह क्या बात है उस चेहरा-ए-नूरानी की शौक़ देखे तुझे किस आँख से ऐ मेहर-ए-जमाल कुछ निहायत ही नहीं तेरी दरख़शानी की मुझ से वो सग भी है अफ़ज़ल जिसे इज़्ज़त हो नसीब आस्तान-ए-हरम-ए-यार पे दरबानी की जब सुना याद किया करते हो तुम भी तो मुझे क्या कहूँ हद न रही कुछ मिरी हैरानी की सई-ए-अहबाब को नाहक़ है रिहाई का ख़याल और ही कुछ है तमन्ना तिरे ज़िंदानी की वो तबस्सुम भी क़यामत है तिरा बाद-ए-जफ़ा तू ने दी हो जिसे ख़िदमत नमक-अफ़्शानी की मुश्किलों से जो मुक़ाबिल हुई हिम्मत मेरी क़द्र बाक़ी न रही ऐश-ए-तन-आसानी की रह गया जल के तिरी बज़्म में परवाना जो रात खींच गई शक्ल मिरी सोख़्ता-सामानी की रश्क-ए-शाही हो न क्यूँ अपनी फ़क़ीरी 'हसरत' कब से करते हैं ग़ुलामी शह-ए-जीलानी की
This is a great बरकत शायरी. True lovers of shayari will love this दौलत शायरी हिंदी. Shayari is the most beautiful way to express yourself and this दौलत पर शायरी is truly a work of art.