बस अब दुनिया से पर्दा चाहती हूँ में सब से दूर रहना चाहती हूँ सितारों की तरह या गुल के जैसे जवानी में ही मरना चाहती हूँ वो एक तस्वीर जो बनती नहीं है उसी में रंग भरना चाहती हूँ किताबों को उठा कर गोद में यूँ मैं कोई शे'र कहना चाहती हूँ मुझे भी इल्म है दुनिया का सारा मैं धीमी मौत मरना चाहती हूँ