बस दिल का ग़ुबार धो चुके हम रोना था जो कुछ सो रो चुके हम तुम ख़्वाब में भी न आए फिर हाए क्या ख़्वाब में उम्र खो चुके हम होने की रखें तवक़्क़ो अब ख़ाक होना था जो कुछ सो हो चुके हम कोहसार पे चल के रोइए अब सहरा तो बहुत डुबो चुके हम फिर छेड़ा 'हसन' ने अपना क़िस्सा बस आज की शब भी सो चुके हम