बस गया जब से यार आँखों में तब से फूली बहार आँखों में नज़र आने से रह गया अज़-बस छा गया इंतिज़ार आँखों में चश्म-ए-बद-दूर ख़ूब लगता है तूतिया-ए-निगार आँखों में चश्म-ए-मस्त उस की देखी थी इक रोज़ उस का खींचा ख़ुमार आँखों में मुझ को मंज़ूर है 'हसन' जो मिले ख़ाक-ए-पा-ए-निगार आँखों में