बस ख़ला से ही सदाएँ हुईं रद इस लिए सारी दुआएँ हुईं रद हो गईं सारी किताबें रद्दी इल्म-ओ-दानिश की कथाएँ हुईं रद वो जो फोकट में जिए और मरे उन के जिस्म और चिताएँ हुईं रद मेज़ पर पेश हुई जब दरख़्वास्त हब्स दफ़्तर में हवाएँ हुईं रद शाम पर शाम-ए-अबद थी भाई कितनी बहनों की रिदाएँ हुईं रद हम ने जब तोल घटाया साहब अपनी क़िस्मत की घटाएँ हुईं रद इश्क़ में रद्द-ओ-बदल था मुश्किल हुस्न की कितनी अदाएँ हुईं रद ब्लाक होने के थे इम्कान बहुत ख़त पहुँचते ही ख़ताएँ हुईं रद ख़ैर की ख़ैर नहीं थी 'असवद' और न बदले में बलाएँ हुईं रद