भीड़ में गूँगों की पहचान बनाने के लिए हौसला चाहिए आवाज़ उठाने के लिए दीन इंसाँ की भलाई के लिए आया था रह गया अब ये फ़क़त खाने-कमाने के लिए प्यार को भूलना आसान नहीं है साहब मुद्दतें लगती हैं इक शख़्स भुलाने के लिए रोज़-दो-रोज़ का क़िस्सा न समझिए इस को इश्क़ तो होता है इक उम्र रुलाने के लिए मौत के बाद मिरी 'राज़' पढ़े जाएँगे मेरे अशआर मिरी याद दिलाने के लिए