बस तिरा इंतिज़ार रहता है दिल बड़ा बे-क़रार रहता है राहतें कुछ तो बख़्श दे मुझ को इन दिनों दिल पे बार रहता है इल्तिजा है कि अब इनायत हो दर्द रग रग में यार रहता है वो जो नज़रों से तुम चलाते हो तीर वो आर-पार रहता है 'सैफ़' कहते हो चैन तुम जिस को वो तो दरिया के पार रहता है