बस यही इक कमी 'उरूज पे थी ज़ीस्त में तिश्नगी 'उरूज पे थी सोच वो आँख तक मिला न सका किस क़दर बेबसी 'उरूज पे थी आप के आने से ज़रा पहले दिल में तीरा-शबी 'उरूज पे थी होश आते ही ये ख़याल आया बे-सबब बे-ख़ुदी 'उरूज पे थी कैसे झुकते नहीं अना वाले उस तरफ़ 'आजिज़ी 'उरूज पे थी सामने आप थे मिरे मुर्शिद और इधर मय-कशी 'उरूज पे थी दिल शिकस्ता था दिल गिरफ़्ता था पर मिरी शा'इरी 'उरूज पे थी