कोई मेयार-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द हर तरफ़ आम हैं ख़ासान-ए-वफ़ा मेरे बा'द सिलसिला उन के सितम का न रहा मेरे बा'द बदला बदला सा है दस्तूर-ए-जफ़ा मेरे बा'द कौन पहनेगा गले में तिरी उल्फ़त की कमंद किस के सर होगी तिरी ज़ुल्फ़-ए-दोता मेरे बा'द होंगी क़ुर्बान तिरे रुख़ पे निगाहें किस की चाँद हो जाएगा हाले से जुदा मेरे बा'द सोचता हूँ कि ब-ईं आलम-ए-बेताबी-ए-दिल कौन माँगेगा मोहब्बत की दुआ मेरे बा'द दाद चाहेंगे मिरी तरह मिटा कर किस को इश्वा-ओ-ग़म्ज़ा-ए-अंदाज़-ओ-अदा मेरे बा'द ठोकरें खाती फिरेगी शब-ए-यलदा-ए-फ़िराक़ ख़ून रोएगी हर इक ताज़ा बला मेरे बा'द सूनी सूनी सी है हर महफ़िल-ए-ईज़ा-ए-तलबी जैसे दुनिया में कोई ग़म न रहा मेरे बा'द ख़ीरा हो जाती थी जिस से निगह-ए-सब्र-ओ-क़रार उन के लब पर वो तबस्सुम न रहा मेरे बा'द क्या ख़बर थी कि मैं ख़ुद साथ न दूँगा अपना गोश्त हो जाएगा नाख़ुन से जुदा मेरे बा'द फ़ितरत-ए-हुस्न को है ऐसे सितम-कश की तलाश जो वफ़ा पर भी करे उज़्र-ए-ख़ता मेरे बा'द ज़र्द कर देगा उसे मेरी तबाही का ख़याल रंग लाया भी अगर रंग-ए-हिना मेरे बा'द उन का दीवाना तो कहलाना है मुश्किल 'बासित' कोई दीवाना अगर बन भी गया मेरे बा'द