बसों पर तबस्सुम तो आँखों में पानी यही है यही दिल-जलों की निशानी तिरी बे-रुख़ी और तिरी मेहरबानी यही मौत है और यही ज़िंदगानी वही इक फ़साना वही इक कहानी जवानी जवानी जवानी जवानी न अब वो मसर्रत न वो शादमानी दरेग़ा जवानी दरेग़ा जवानी मोहब्बत ही है अस्ल में जावेदानी बुढ़ापा भी फ़ानी जवानी भी फ़ानी अता कर मुझे वो मक़ाम-ए-मोहब्बत करे हुस्न ख़ुद इश्क़ की पासबानी बताऊँ है क्या आँसुओं की हक़ीक़त जो समझो तो सब कुछ न समझो तो पानी ज़मीं से तअ'ल्लुक़ न रिश्ता फ़लक से मुसीबत है गोया बुलंद आशियानी 'सहर' इस जहान-ए-बहार-ए-ख़िज़ाँ में ख़ुशी दाइमी है न ग़म जावेदानी