बा-वफ़ा हूँ मिरी ख़ता है ये जी रहा हूँ मिरी सज़ा है ये इक तबस्सुम हज़ार-हा आँसू इब्तिदा वो थी इंतिहा है ये ग़म बहुत मोहतरम है मेरे लिए क्यूँ न हो आप की अता है ये हिज्र की लज़्ज़तों का क्या कहना वो न आएँ मिरी दुआ है ये दिल मिरा तोड़ दीजिए लेकिन सोचिए किस का आइना है ये