बेहद शदीद सोच के मंथन में क़ैद हूँ यूँ पहले पहले प्यार के सावन में क़ैद हूँ गोया मैं ज़िंदगी की किसी भाग दौड़ में इतना उलझ गया हूँ कि उलझन में क़ैद हूँ ये कुछ ही साल पहले की तस्वीर देखिए मैं कितना ख़ुश-मिज़ाज सा बचपन में क़ैद हूँ रातों की नींद दिन का सुकूँ सब हराम है क्या अब भी तेरे प्यार के बंधन में क़ैद हूँ निकला है चाँद ईद का बच्चों की फ़िक्र में मैं फिर कटी-फटी हुई अचकन में क़ैद हूँ जिस की दवा बनी न बनेगी तमाम उम्र 'आबिद' मैं ऐसे दर्द की जकड़न में क़ैद हूँ