झूट पर झूट की भर-मार लिए फिरता है वो मेरे शहर में अख़बार लिए फिरता है ज़िंदगी फ़िल्म है इस फ़िल्म में रहने के लिए आदमी सैकड़ों किरदार लिए फिरता है उस को अल्लाह की ताक़त पे भरोसा ही नहीं हाथ में अपने जो तलवार लिए फिरता है तेरी रहमत के फ़रिश्तों को ऐ मेरे मौला अपने काँधों पे गुनहगार लिए फिरता है साल-हा-साल जियूँ उस की दुआ थी वर्ना कब दवा शौक़ में बीमार लिए फिरता है शाइ'री सिर्फ़ बहाना है मेरी जान-ए-ग़ज़ल दर-ब-दर मुझ को तेरा प्यार लिए फिरता है तुझ को मालूम हो तेरी ही गली में 'आबिद' तेरे दीदार की दरकार लिए फिरता है