बेकसी हद से जब गुज़र जाए कोई ऐ दिल जिए की मर जाए ज़िंदगी से कहो दुल्हन बन के आज तो दो घड़ी सँवर जाए उन को जी भर के देख लेने दे दिल की धड़कन ज़रा ठहर जाए हम हैं अपनी ही जान के दुश्मन क्यूँ ये इल्ज़ाम उन के सर जाए मेरे नग़्मों से उन का दिल न दुखे ग़म नहीं मुझ पे जो गुज़र जाए