बे-ख़ुदी साथ है मज़े में हूँ अपनी ही ज़ात के नशे में हूँ अक्स जैसे हो कोई दरिया में ऐसे पानी के बुलबुले में हूँ तू भले मेरा ए'तिबार न कर ज़िंदगी मैं तिरे कहे में हूँ कोई मंज़िल कभी नहीं आई रास्ते में था रास्ते में हूँ मेरी वुसअ'त अजीब है 'आज़र' फैल कर भी मैं दाएरे में हूँ