बे-लौस मोहब्बत की नज़र ढूँड रहा हूँ अंजाम तो ज़ाहिर है मगर ढूँड रहा हूँ ऐ देखने वालो मिरी उफ़्ताद तो देखो मैं अपनी दुआओं में असर ढूँड रहा हूँ जिस सज्दों की है अर्श-ए-बरीं को भी तमन्ना इन सज्दों के लाएक़ कोई दर ढूँड रहा हूँ ख़ुद जिस ने मुझे नाज़ गुनाहों पे सिखाया यारब वही रहमत की नज़र ढूँड रहा हूँ