बे-मेहरी-ए-अर्बाब-ए-वतन कम तो नहीं है हाँ देखना इस दिल की चुभन कम तो नहीं है मंज़िल तो जहाँ चाहेंगे क़दमों से लगेगी वैसे ये हक़ीक़त है थकन कम तो नहीं है ये ध्यान हमेशा रहे ओ भूलने वाले छालों की तपिश दिल की जलन कम तो नहीं है फिर हो कोई पैमाँ करें फिर तुझ पे भरोसा ये हौसला ऐ अहद-शिकन कम तो नहीं है रस्ते में ज़रा हम-सफ़रो देखते रहना काँटों के बिछाने का चलन कम तो नहीं है रखती है ख़याल इस का बहुत कुछ मिरी तक़दीर पहले से मिरे दिल की कुढ़न कम तो नहीं है वो ग़म है कि यक-गूना असीरी का है आलम ये सरज़निश-ए-रंज-ओ-मेहन कम तो नहीं है क्या बात है अब तक जो सलामत है नशेमन कुछ बे-रुख़ी-ए-अहल-ए-चमन कम तो नहीं है ये कह के तुझे ढूँडेगी दुनिया 'शफ़क़' इक रोज़ महफ़िल में कोई साहब-ए-फ़न कम तो नहीं है