बे-नियाज़-ए-सुकून-ए-मंज़िल है ज़िंदगी इर्तिक़ा पे माइल है गुम है यूँ फ़िक्र-ए-काएनात में दिल याद-ए-महबूब से भी ग़ाफ़िल है फ़न फ़क़त हुस्न को नहीं कहते इस में ख़ून-ए-जिगर भी शामिल है तुझ पे क़ुर्बान ऐ ग़म-ए-दौराँ तू मिरी ज़िंदगी का हासिल है आप क्या जानें शोरिश-ए-तूफ़ाँ आप का दिल रहीन-ए-साहिल है आओ किरनों के खोज में निकलें तीरगी से निबाह मुश्किल है आप अपने ज़मीर से शरमाएँ आइना आप के मुक़ाबिल है