बे-सोज़-ए-निहाँ महव-ए-फ़ुग़ाँ हो नहीं सकता जब तक न लगे आग धुआँ हो नहीं सकता वा'दे को निभाएँगे ये वा'दा है हमारा क़ौल अपना कभी तेरी ज़बाँ हो नहीं सकता हैं सैंकड़ों दिल ताज-महल आज भी लेकिन नज़्ज़ारा तुझे शाह-ए-जहाँ हो नहीं सकता आँखें ही नहीं क़ाबिल-ए-दीदार वगर्ना उस यार का दीदार कहाँ हो नहीं सकता जुज़ तेरे कोई राहत-ए-दिल राहत-ए-जाँ और ऐ राहत-ए-दिल राहत-ए-जाँ हो नहीं सकता 'पुरनम' अभी अरमाँ हैं बहुत ख़ाना-ए-दिल में ख़ाली ये मकीनों से मकाँ हो नहीं सकता