लोग हँसते हैं मुस्कुराते हैं कौन सा ग़म है जो छुपाते हैं देखिए हो चला सवेरा भी आओ अब बत्तियाँ बुझाते हैं छोड़ो रहने दो अब हटाओ भी बात इतनी नहीं बढ़ाते हैं रास्ते पर नहीं है कोई नहीं हाथ किस के लिए हिलाते हैं मैं भी ख़ाली हूँ तुम भी ख़ाली हो तो चलो दोनों मुस्कुराते हैं आज खिड़की में चाँद उतरा है आज ही ईद हम मनाते हैं हो चुका ख़त्म ये डरामा भी आओ अब सीटियाँ बजाते हैं भीड़ के साथ तो सभी हैं 'क़मर' हम नया रास्ता बनाते हैं