बेवफ़ा है वो कभी प्यार नहीं कर सकता हाँ मगर प्यार से इंकार नहीं कर सकता अपनी हिम्मत को जो पतवार नहीं कर सकता वो समुंदर को कभी पार नहीं कर सकता जो किसी और के जल्वों का तमन्नाई हो वो कभी भी तिरा दीदार नहीं कर सकता होंट कुछ कहने को बेताब हैं कब से लेकिन उस की आदत है वो इज़हार नहीं कर सकता उस की चाहत पे भरोसा है मुझे मेरे सिवा वो किसी और को हक़दार नहीं कर सकता उस को मालूम है वो ख़ुद भी तो रुस्वा होगा मुझ को रुस्वा सर-ए-बाज़ार नहीं कर सकता वक़्त पड़ जाए तो वो जान भी दे सकता है फ़न का सौदा कोई इंकार नहीं कर सकता