भर के पलकों के दरमियाँ मिट्टी हम ने ख़ुद कर दिया जहाँ मिट्टी ख़्वाब दुनिया से कुछ अलग देखे आसमाँ फ़र्श साएबाँ मिट्टी जानतीं गर अबू-तुराब की बू रखतीं नाफ़ों में हिरनियाँ मिट्टी आब-ओ-दाना तो उठ चुका कब का देखें ले जाए अब कहाँ मिट्टी मरहले-वार हो चुके हम भी आग पानी हवा धुआँ मिट्टी