भटक गया था हमारा जो कारवाँ न मिला कहाँ कहाँ उसे ढूँडा कोई निशाँ न मिला जबीन-ए-शौक़ थी बेचैन सज्दा करने को जबीन-ए-शौक़ को तेरा ही आस्ताँ न मिला फ़रेब-ओ-जौर-ओ-सितम तेरे सह लिए हँस कर जहान-ए-इश्क़ को हम सा भी बे-ज़बाँ न मिला ये चाँद फूल सितारे नसीम-ए-सुब्ह-ए-बहार तुझे ही देखा मनाज़िर में तू कहाँ न मिला तुम्हारे शहर में सब कुछ मिला वफ़ा के सिवा हज़ार ढूँडा कोई यार मेहरबाँ न मिला हुजूम-ए-दर्द-ओ-अलम में ही मुब्तला पाया बिछड़ के आप से कोई भी शादमाँ न मिला भरी बहार में 'शबनम' ख़िज़ाँ का आलम है कि ख़ार-ज़ार मिला हम को गुल्सिताँ न मिला