भाती हैं दिल को प्यारे नाज़-ओ-अदाएँ तेरी दिल में ये आरज़ू है ले लूँ बलाएँ तेरी इक पल पलक उठा कर देखो ब-नज़र-ए-रहमत असरार-ए-गंज-ए-मख़्फ़ी आँखें लुभाएँ तेरी ज़ुल्फ़-ए-सियह के बल में आलम तो मुब्तला है आशिक़ भला ये किस को बातें सुनाएँ तेरी दीदार-ए-हक़-नुमा है प्यारे जमाल तेरा मस्ताना जल्वा-गरियाँ क्या क्या बताएँ तेरी रोज़-ए-अज़ल से हम हैं हुस्न-ओ-लिक़ा के शाएक़ शर्म-ओ-हया की बातें क्या क्या सुनाएँ तेरी बस में नहीं हूँ तो है फिर क्या हिजाब बाक़ी कब तक भला ये रमज़ें दिल में समाएँ तेरी ये इश्क़-सोज़ मस्ती है मीराँ 'शाह' को हासिल क्या क्या ये हालतें हैं मुझ को सुझाएँ तेरी