भौवें चढ़ी हैं और है तेवर झुका हुआ कुछ आज बोलता है वो हम से रुका हुआ जो चाहता है दिल को मिरे दिल-दही करे सौदा ये है क़दीम से यूँही चुका हुआ ओसों गई है प्यास कहीं दीदा-ए-नमीं बुझता है आँसुओं से कहाँ दिल फुंका हुआ अय्यूब साबिर और वो कनआँ के पीर से मेरे से ज़ोर-ओ-शोर का सब्र-ओ-बुका हुआ उन चितवनों चुराए दबे पाँव 'अज़फ़री' देखो किधर चला है छपा और लुका हुआ