भँवर कश्ती किनारा मुस्तक़िल है सफ़र का इस्तिआ'रा मुस्तक़िल है यहाँ कुछ देर तो रुकना पड़ेगा पस-ए-पर्दा इशारा मुस्तक़िल है तेरा लहजा गवाही दे रहा है मोहब्बत में ख़सारा मुस्तक़िल है अचानक वस्ल की दीवार टूटी सो अब ये हिज्र सारा मुस्तक़िल है नज़र कैसे हटेगी आसमाँ से फ़ज़ा में जब ग़ुबारा मुस्तक़िल है ख़ुशी का इस्तिआरा ढूँड लेंगे अभी ग़म पर गुज़ारा मुस्तक़िल है भटक जाएँगे या मंज़िल मिलेगी यहाँ क़ुत्बी सितारा मुस्तक़िल है