भँवर की गोद में जैसे किनारा साथ रहता है कुछ ऐसे ही तुम्हारा और हमारा साथ रहता है मोहब्बत हो कि नफ़रत हो उसी से मशवरा होगा मिरी हर कैफ़ियत में इस्तिख़ारा साथ होता है सफ़र में ऐन मुमकिन है मैं ख़ुद को छोड़ दूँ लेकिन दुआएँ करने वालों का सहारा साथ रहता है मिरे मौला ने मुझ को चाहतों की सल्तनत दे दी मगर पहली मोहब्बत का ख़सारा साथ रहता है अगर 'सय्यद' मिरे लब पर मोहब्बत ही मोहब्बत है तो फिर भी किस लिए नफ़रत का धारा साथ रहता है