भूल न उस को धुन है जिधर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है शक्ल नुमायाँ होगी सहर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है आँखें मलते सेहन-ए-चमन में झूम के उट्ठे नींद के माते देख सबा ने आ के ख़बर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है नीले नीले रंग के ऊपर बढ़ती ही जाती है सफ़ेदी हो गई रंगत ज़र-ओ-क़मर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है ज़ोर न ताक़त संग न साथी पाँव से अपने आप है चलना तुझ पे है भारी राह-ए-सफ़र की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है तुझ पे मैं क़ुर्बां जानी प्यारे हम-नफ़स-ओ-हम-दर्द हमारे तुझ से है उल्फ़त मैं ने ख़बर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है पँख-पखेरू ख़्वाब से चौंके सब ने ख़ुशी के नारे मारे आई सदा मुर्ग़ान-ए-सहर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है कूच की साअ'त आ गई सर पर 'शाद' उठा ले झोली-बिस्तर नींद में सारी रात बसर की चौंक मुसाफ़िर रात नहीं है