भूले से भी न जानिब-ए-अग़्यार देखना शर्त-ए-वफ़ा यही है ख़बरदार देखना मानिंद-ए-शम्अ बैठ के तय की रह-ए-अदम यारो मोजज़ा है कि रफ़्तार देखना कहती है रूह दिल से दम-ए-नज़अ होशियार हम तो अदम को जाते हैं घर-बार देखना अल्लाह रे इज़्तिराब-ए-तमन्ना-ए-दीद-ए-यार फ़ुर्सत में इक निगाह की सौ बार देखना 'तस्लीम' रू-ए-यार को हसरत की आँख से अच्छा नहीं है शौक़ में हर बार देखना