इश्क़ में ये नादानी करनी पड़ती है उस के नाम जवानी करनी पड़ती है इन्हें बचाना पड़ता है ताबीरों से ख़्वाबों की निगरानी करनी पड़ती है आग लगाई जा सकती है पानी में इक कोशिश ला-सानी करनी पड़ती है सुनते सुनते जब बच्चे सो जाते हैं मुझ को ख़त्म कहानी करनी पड़ती है ख़्वाहिशात को मुमकिन है बस में करना उन की ना-फ़रमानी करनी पड़ती है अपने आप को सच्चा साबित करने में अक्सर लग़्व-बयानी करनी पड़ती है कभी कभी मैं यूँ बच्चा हो जाता हूँ कभी कभी शैतानी करनी पड़ती है