बीमार हो गया हूँ शिफा-ख़ाना चाहिए ये सारा शहर मुझ को बयाबाना चाहिए साँसों की ज़र्ब से न कटेगा हमारा हब्स हम को तो एक पूरा हवा-ख़ाना चाहिए यूँ ही दिखा रही है मोहब्बत के सब्ज़ बाग़ मेरे बदन को रूह से हर्जाना चाहिए ताख़ीर हो गई तो बिखर जाएगा बदन आग़ोश-ए-यार अब तुझे खुल जाना चाहिए फिर दावत-ए-गुनाह मिली इक निगाह से फिर मेरी पारसाई को शर्माना चाहिए वो जल्वा सामने हो तो कैसी दुआ-सलाम बस देखते ही काम पे लग जाना चाहिए देखें तो कौन जाता है महमिल में ख़्वाब के ता'बीर के ग़ज़ाल को दौड़ाना चाहिए ऊधम मचा रहे हैं बहुत लोग शहर के 'एहसास-जी' को दश्त से बुलवाना चाहिए