बिंदराबन के कृष्ण-कन्हैया अल्लाह-हू बंसी राधा गीता गय्या अल्लाह-हू थोड़े तिनके थोड़े दाने थोड़ा जल एक ही जैसी हर गौरय्या अल्लाह-हू जैसा जिस का बर्तन वैसा उस का तन घटती बढ़ती गंगा-मय्या अल्लाह-हू एक ही दरिया नीला पीला लाल हरा अपनी अपनी सब की नय्या अल्लाह-हू मौलवियों का सज्दा पंडित की पूजा मज़दूरों की हैय्या हैय्या अल्लाह-हू