बिफरे दरिया की रवानी से निकल आए हैं हम बिना भीगे ही पानी से निकल आए हैं शुक्र है इतने समझदार हुए हैं बच्चे राजा रानी की कहानी से निकल आए हैं आइना देख के हैरान हुआ है क्या क्या आँख झपकी तो जवानी से निकल आए हैं कीना रख कर तो मिला करता था हम से अक्सर हम तिरी चर्ब-ज़बानी से निकल आए हैं सुन ले ऐ हम को तन-आसान समझने वाले हम दबे पाँव कहानी से निकल आए हैं हम कि हिजरत के अज़ाबों से गुज़रने वाले आख़िरश नक़्ल-ए-मकानी से निकल आए हैं आप के नक़्श मिटाने की सई ला-हासिल आप फिर मेरी कहानी से निकल आए हैं ज़िंदगी अब नई उलझन में न उलझा हम को हम तिरी शो'ला-बयानी से निकल आए हैं किस तरह आए यक़ीं अब तिरी बातों पे 'ग़ज़ल' हम तिरी शोख़-बयानी से निकल आए हैं