बिरंजी पाँव में उस के चुभी है बिचारे मोची को गाली पड़ी है धमाका दिल में होने वाला है क्या कई दिन से यहाँ कुछ सनसनी है मुझे लगता है शो'ले की हरारत अंधेरे में धुएँ को तक रही है यहीं से पढ़ते जा असतग़्फ़िरुल्लाह यहाँ से दूर कुछ उस की गली है ये कटनी मोल में करती है गड़बड़ तवाइफ़ क़ौल की बिल्कुल खरी है तुम अपनी हद में बैठो अहल-ए-दुनिया तुम्हारे साथ किस ने बात की है ब-क़ौल-ए-'राज़' निकलो मा'रके से ये दुनिया है जहाँ तक ज़िंदगी है गले में डाल के रस्सी लटक जाओ मोहब्बत इक तरह की ख़ुद-कुशी है अचानक आसमाँ का साफ़ होना 'शफ़क़' कोई-न-कोई गड़-बड़ी है