बिस्तर पर बेचैन निराशा के सिलवट सिलवट जागे तन्हाई की राम-दुहाई हम करवट करवट जागे कोई साया कोई ख़ुश्बू कोई सदा कोई दस्तक उम्मीदों की सेज सजाए हम आहट आहट जागे पीत के मीठे मधुर मनोहर बोल लिए आता है कोई साँझ का टीला बोला खिड़की दरवाज़े चौखट जागे भोर हुई तो धीरे धीरे गीतों के साए उभरे गागर गागर कंगन खनके सोए हुए पनघट जागे बंसी की महकार उड़ी तो 'रहमानी' जी ने देखा लीला-दर्शी आँखें चमकीं घूँघट घूँघट पट जागे