बीते लम्हे कल की बातें याद आईं वो रंगों की सब बरसातें याद आईं दिन देखा तो चेहरा तेरा याद आया रात के देखे ज़ुल्फ़ की रातें याद आएँ बेटा एम-ए कर के घर में बैठ गया अपने वक़्त की चार जमाअतें याद आईं जलती धूप में नंगे पाँव चलने पर ठंडे लहजे की सौग़ातें याद आईं आज की जीत पे दिल ऐसा वीरान हुआ कल की हँसती-खेलती बातें याद आएँ झूटी शान का सूरज डूबते देखा तो अपनी दुबकी सहमी ज़ातें याद आईं 'हसरत' जब बेटी की डोली लौट गई लौटने वाली सब बारातें याद आईं